इम्पोस्टर सिंड्रोम: जब आपका मन कहता है कि आप काफी नहीं हैं (जबकि आप हैं)
- HealingWithPayal
- 15 जुल॰
- 4 मिनट पठन
By Payal Seth | www.healingwithpayal.com

क्या आपने कभी कुछ हासिल किया हो — नई नौकरी, कोई बड़ा प्रोजेक्ट, या काम की तारीफ — और फिर भी अंदर से लगा हो:
"शायद किसी से गलती हो गई है।""बस किस्मत थी मेरी।""कभी न कभी सबको पता चल जाएगा कि मैं कुछ नहीं जानता।"
अगर हां, तो आप उस पुराने और चुपचाप आने वाले मेहमान से मिल चुके हैं जिसे कहते हैं Imposter Syndrome — एक सोचने का तरीका जो हमें यह यकीन दिलाता है कि हम धोखेबाज़ हैं, जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल उलट होती है।
मैं खुद इससे कई सालों तक जूझी हूं, और आज मैं दिल से यह शेयर करना चाहती हूं कि यह असल में होता क्या है, इसका हमारी मेंटल हेल्थ से क्या रिश्ता है, और कैसे हम धीरे-धीरे इससे बाहर निकल सकते हैं।
Imposter Syndrome क्या होता है?
यह कोई मेडिकल बीमारी नहीं है — बल्कि यह आपके अंदर की एक फीलिंग है जिसमें आप अपनी खुद की मेहनत और सक्सेस पर शक करते हैं, और लगता है कि एक दिन सबको पता चल जाएगा कि आप असल में "काबिल" नहीं हैं।
फिर चाहे आप कितने भी टैलेंटेड, एक्सपीरियंस्ड या काबिल क्यों न हों — दिमाग धीरे से कहता है:
"तुम इसके लायक नहीं हो।""तुम तो बस एक्टिंग कर रहे हो।""तुम यहां के नहीं हो।"
और अफसोस की बात है कि बहुत से लोग चुपचाप इस सोच में जीते हैं।
इम्पोस्टर सिंड्रोम का Mental Health पर असर
जब आप लंबे समय तक Imposter Syndrome के साथ जीते हैं, तो यह कई तरह की मेंटल हेल्थ दिक्कतों को जन्म देता है:
लगातार खुद पर शक करना
खुद को कम आंकना
मीटिंग्स, एग्ज़ाम या सोशल गैदरिंग्स से पहले घबराहट
परफेक्शनिज़्म और बर्नआउट (क्योंकि हम खुद को साबित करने के लिए ज़्यादा मेहनत करते हैं)
सक्सेस से डर (क्योंकि वो ज़्यादा अटेंशन लाता है, और हमें लगता है "सच" सामने आ जाएगा)
धीरे-धीरे यह थकान, डिप्रेशन और बहुत कम सेल्फ-वैल्यू में बदल सकता है।
यह सिर्फ “कॉन्फिडेंस की कमी” नहीं है — यह एक नज़रिया बन जाता है, जिससे आप खुद को देखने लगते हैं — और आपके सबसे अच्छे पलों की चमक भी फीकी लगने लगती है।
कई बार Mental Health भी Imposter Syndrome को बढ़ाती है
यह दोनों तरफ काम करता है। अगर आप पहले से ही एंग्ज़ायटी, डिप्रेशन या ट्रॉमा से गुज़रे हैं, तो आपका दिमाग पहले से ही खुद पर भरोसा करना मुश्किल मानता है।
ऐसे में जब कुछ अच्छा होता है, तब भी वो डर लगता है — जैसे मानो हम उस अच्छे लम्हे के लायक ही नहीं हैं।
एक सच्चा अनुभव
मुझे याद है जब पहली बार किसी ने मुझे “मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट” कहा था। मेरा पेट अंदर से सिकुड़ गया। दिमाग में तुरंत आया, "नहीं-नहीं, मैं बस एक इंसान हूं जिसने बहुत कुछ झेला है। मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूं।"
लेकिन सच ये है: लिव्ड एक्सपीरियंस भी वैलिड होता है।
हीलिंग, सीखना, और अपनी जर्नी शेयर करना — ये भी ताकत होती है। हर कोई ये रास्ता नहीं चलता।
पर हां, मुझे खुद को बार-बार याद दिलाना पड़ता है।
कुछ आसान चीज़ें जो मेरी मदद करती हैं (और शायद आपकी भी करें)
अगर आज आप भी Imposter Syndrome से जूझ रहे हैं, तो ये कुछ छोटे-छोटे टूल्स हैं जो मेरे लिए काम करते हैं:
✅ उस आवाज़ को नाम दो: मैं खुद से कहती हूं, “अरे, फिर से आ गए Imposter वाले विचार।” इससे मैं उन नेगेटिव बातों से थोड़ी दूरी बना पाती हूं।
✅ Kind Folder बनाओ: जहां मैं अच्छे मैसेजेस, थैंक यू नोट्स या तारीफें सेव करती हूं — जो मुझे मेरा असली असर याद दिलाते हैं।
✅ Reality Check लो किसी दोस्त से: जब मैं खुद पर शक करती हूं, मैं किसी भरोसेमंद इंसान से बात करती हूं। उनका नजरिया मुझे ज़मीन पर वापस लाता है।
✅ Pause करो और गहरी सांस लो: Imposter thoughts अक्सर स्ट्रेस में आते हैं। उस वक्त एक धीमी सांस और “मुझे यहां होने का हक है” — इतना कह देना बहुत असर करता है।
✅ अपनी जर्नी लिखो: जब आप लिखते हो कि अब तक आपने क्या-क्या किया है (चाहे छोटे-छोटे स्टेप्स ही क्यों न हों), तब एहसास होता है कि आपने कितनी दूर तक सफर किया है। पहले वाला “आप” आज के “आप” पर फख्र करता।
अगर आज किसी ने आपसे ये नहीं कहा...
आपको कुछ और करने की ज़रूरत नहीं है, खुद को साबित करने की ज़रूरत नहीं है — आप वैसे ही काबिल हैं जैसे हैं।
आप हर उस जगह के लायक हैं जहां आप खड़े हैं।
आपको मिली हर तारीफ आपने खुद कमाई है।
आपको खुद पर गर्व करने की पूरी आज़ादी है।
दिल से एक बात — आप काफी हैं!
अगर आज आप खुद को एक धोखेबाज़ की तरह महसूस कर रहे हैं, तो जान लीजिए — वो आवाज़ सच्चाई नहीं है। वो सिर्फ डर और पुराने पैटर्न की गूंज है।
आप वो हैं — जो प्यार से बोलते हैं, जो मेहनत करते हैं, जो मुश्किलों के बावजूद आगे बढ़ते हैं।
Imposter Syndrome तब छोटा होता है जब हम एक-दूसरे के लिए सेफ स्पेस बनाते हैं।
तो आइए, ऐसे माहौल बनाएं — जहां आप जैसे हैं, वैसे ही आ सकें… और महसूस करें कि आपका यहां होना मायने रखता है।
एक सांस में, एक सच में — हम धीरे-धीरे खुद पर यकीन करना फिर से सीख सकते हैं।
प्यार के साथ,पायल
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